मन और बुद्धि के बिना भी कोई करता है इस शरीर का संचालन
लंदन से जीव विज्ञान में ऊंची डिग्री हासिल कर लौटे एक प्रोफेसर साहब मेरे पास आए। आते ही कई सवाल दागे। यह भी कहा कि वे गोल-गोल उत्तर और शास्त्रों की दुहाई नहीं मानेंगे। कई सवालों के बाद पूछा- क्या आपने आत्मा का अनुभव किया है? मेरे जवाब पर कि ‘आत्मा का अनुभव तो प्रतिक्षण…
डिजिटल रूपरेखा
संगठन के भीतर चल रही सभी गतिविधियों, परियोजनाओं और घटनाओं के बारे में “रूप रेखा” नामक एक मासिक पत्रिका भी 1998 से प्रकाशित की जा रही है। इसे हर महीने देश के साथ-साथ देश के बाहर ट्रस्ट से जुड़े सदस्यों को विशेष रूप से निःशुल्क वितरित किया जाता है। वर्तमान में, 6,000 से अधिक ग्राहक इसे हर महीने प्राप्त करते हैं।
सच्चं भयवं
आचार्यश्री रूपचंद्र जी महाराज भारतीय धर्म-दर्शन के विविध आयामों के विद्वतवरेण्य प्रवक्ता हैं। आपका व्यक्तित्व सदानीरा की भांति रसगर्भ है। आपमें एक कवि की संवेदना, संत की करुणा, मनीषी की पारमिता दृष्टि, लोकनायक की उत्प्रेरणा, समन्वय तथा शांति के मसीहा की निर्मल भावना विविध रूपों में मुखरित है। आपकी जीवनधारा में साधना, स्वाध्याय, पदयात्राएं, मनीषियों से सम्पर्क, लोक जीवन में शाश्वत मानवीय मूल्यों के उन्नयन की प्रेरणा, इन सबका समवेत प्रसार तथा विकास होता रहा है।