मन और बुद्धि के बिना भी कोई करता है इस शरीर का संचालन

लंदन से जीव विज्ञान में ऊंची डिग्री हासिल कर लौटे एक प्रोफेसर साहब मेरे पास आए। आते ही कई सवाल दागे। यह भी कहा कि वे गोल-गोल उत्तर और शास्त्रों की दुहाई नहीं मानेंगे। कई सवालों के बाद पूछा- क्या आपने आत्मा का अनुभव किया है? मेरे जवाब पर कि ‘आत्मा का अनुभव तो प्रतिक्षण…

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परम पूज्य संस्कार प्रणेता 108 आचार्य श्री सौरभ सागर जी महाराज का मानव मंदिर में मंगल विहार और संयुक्त प्रवचन

परम पूज्य संस्कार प्रणेता 108 आचार्य श्री सौरभ सागर जी महाराज का दिनांक 31 मार्च…

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मन और बुद्धि के बिना भी कोई करता है इस शरीर का संचालन

लंदन से जीव विज्ञान में ऊंची डिग्री हासिल कर लौटे एक प्रोफेसर साहब मेरे पास…

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स्वभाव में सरलता है तो नैतिकता स्वयं चली आएगी

आप भी कहते या सोचते होंगे कि यह एक अजीब व्यथा-काल है। हर तरफ अराजकता…

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ऐसी दृष्टि चाहिए जो शिवत्व को अंदर से जगा दे

भस्मासुर की प्रसिद्ध कथा सभी को मालूम है कि कैसे तप के बल पर उसने…

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विचार के अनुरूप ही हमारा व्यक्तित्व भी बदलता है

आप जल-स्नान प्रतिदिन करते हैं। अगर न नहाएं तो चैन नहीं मिलता है। स्नान करने…

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स्वयं को जानना है तो मन की गहराई में उतरना पड़ेगा

जब भी कोई दरवाजे पर दस्तक देता है या घंटी बजाता है तो अंदर से…

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सिर्फ संबंध नहीं, न टूटने वाली संवेदना है मैत्री

अहिंसा की चर्चा के प्रसंग में मन में एक शब्द उगता है- मैत्री। इस शब्द…

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चैत्र नवरात्रि के पावन पर्व पर आचार्यश्री रूपचंद्र जी ऑनलाइन शिक्षण प्रकल्प की 151 कन्याओं का दिव्य-भव्य-पूजन:

मानव मंदिर मिशन ट्रस्ट द्वारा संचालित आचार्यश्री रूपचन्द्र वर्चुअल शिक्षा प्रकल्प के तहत लगभग 400…

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चारदीवारी मे बँधा हुआ विचार सत्य को नहीं छू सकता

संसार का हर व्यक्ति कामयाबी पाने के लिए बेचैन है। जो जिस भी क्षेत्र में…

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सब पाने की लालसा कुछ भी खोने के दुख को बड़ा बनाती है।

क्या आपने सोचा है कि जैसा हम सोचते हैं, अगर बिलकुल वैसा ही होने लगे…

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डिजिटल रूपरेखा

संगठन के भीतर चल रही सभी गतिविधियों, परियोजनाओं और घटनाओं के बारे में “रूप रेखा” नामक एक मासिक पत्रिका भी 1998 से प्रकाशित की जा रही है। इसे हर महीने देश के साथ-साथ देश के बाहर ट्रस्ट से जुड़े सदस्यों को विशेष रूप से निःशुल्क वितरित किया जाता है। वर्तमान में, 6,000 से अधिक ग्राहक इसे हर महीने प्राप्त करते हैं।

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सच्चं भयवं

आचार्यश्री रूपचंद्र जी महाराज भारतीय धर्म-दर्शन के विविध आयामों के विद्वतवरेण्य प्रवक्ता हैं। आपका व्यक्तित्व सदानीरा की भांति रसगर्भ है। आपमें एक कवि की संवेदना, संत की करुणा, मनीषी की पारमिता दृष्टि, लोकनायक की उत्प्रेरणा, समन्वय तथा शांति के मसीहा की निर्मल भावना विविध रूपों में मुखरित है। आपकी जीवनधारा में साधना, स्वाध्याय, पदयात्राएं, मनीषियों से सम्पर्क, लोक जीवन में शाश्वत मानवीय मूल्यों के उन्नयन की प्रेरणा, इन सबका समवेत प्रसार तथा विकास होता रहा है।

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